जब भी किसी System यानि कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि को On किया जाता है तो वह On होने में थोड़ा समय लेता है इस प्रक्रिया को बूटिंग कहते हैं, यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया है पर कुछ ही सेकंड्स में पूर्ण हो जाती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि बूटिंग प्रोसेस क्या है (booting process in Hindi) तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें। इसमें आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँगे जैसे बूटिंग क्या है? बूटिंग प्रोसेस किस तरह होती है? बूटिंग कितने प्रकार की होती है? आदि। यदि IT आपका सब्जेक्ट है तो आपके लिए यह प्रश्न एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
बूटिंग प्रोसेस क्या है? Booting Process in Hindi
जब कंप्यूटर को On किया जाता है तब Computer चालू होने के दौरान होने वाली प्रोसेस को बूटिंग प्रोसेस कहा जाता है। यह वह प्रारम्भिक प्रक्रिया है जो पॉवर बटन को दबाने के बाद शुरू हो जाती है और इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि कंप्यूटर के हार्डवेयर सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
बूटिंग में सबसे पहले BIOS सक्रिय होता है, और यह CPU के साथ मिल कर पुरे कंप्यूटर को स्कैन करते हैं जिसमे रैम, रोम, हार्डडिस्क, डिस्प्ले आदी शामिल है।
यह एक प्रकार का प्री लोडेड इंस्ट्रक्शन होता है जिसे POST (Power On Self Test) कहा जाता है। इस प्रोसेस के दौरान कम्प्यूटर के पार्ट्स में किसी प्रकार का कुछ फौल्ट तो नहीं है इसकी जांच की जाती है, यदि पार्ट्स में किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो स्क्रीन पर Error डिस्प्ले हो जाता है। यह प्रोसेस कुछ ही सेकंड्स में पूर्ण हो जाती है, जब तक यह प्रोसेस चलती है तब तक स्क्रीन ब्लैक रहती है।
कंप्यूटर के माध्यम से Operating System के Software को स्थायी storage unit से रीड किया जाता है और उसके निर्देशों को computer system के प्रबंधन हेतु memory में लाया जाता है तथा प्रोसेस किया जाता है इसे ही Booting Process कहते हैं।
बूटिंग कितने प्रकार की होती है?
- कोल्ड बूटिंग – कोल्ड बूटिंग या हार्ड बूटिंग वह प्रक्रिया है जब कंप्यूटर को स्विच ओन किया जाता है यह होने वाली सबसे प्रथम प्रक्रिया है इसीलिए यह पूर्ण स्टार्ट-अप प्रक्रिया मानी जाती है। इस प्रक्रिया में निर्देशो को ROM से पढ़ा जाता है और ऑपरेटिंग सिस्टम को मुख्य मेमोरी में लोड किया जाता है।
- वार्म बूटिंग – वार्म बूटिंग में कंप्यूटर चालु रहता है और उसकी Initial Stage से ही फिर से ही बूट होने लगती है। वार्म बूटिंग करने के लिए Power Option में Restart पर Click करा जाता है या फिर Alt+Ctrl+Del बटन दबाकर किया जाता है। इस बूटिंग में सभी प्रोग्राम बंद हो जाते हैं तथा Ram की पूरी मेमोरी खत्म हो जाती है तथा तथा कंप्यूटर के रीस्टार्ट करने से वार्म बूटिंग होती है।
बूटिंग प्रोसेस किस तरह होती है?
बूटिंग प्रोसेस में जब CPU ओन किया जाता है तब सबसे पहले POST (Power On Self Test) की प्रक्रिया शुरू होती है। Power On Self Test के दौरान डायग्नोस्टिक के द्वारा इस चीज़ की जांच की जाती है कि सारे हार्डवेयर सही से काम कर रहें हैं या नहीं, जिसमे Keyboard, Mouse, Webcam, Printer Etc. शामिल है, इसे ही Power On Self Test कहा जाता है।
इसके बाद BIOS की प्रक्रिया शुरू होती है जिसमे ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड किया जाता है, अब बूट लोडर (जिसे बूट मैनेजर भी कहा जाता है) ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करता है और Initialization स्टार्ट हो जाता है, जिसमे दुसरी सारी सर्विसेज लोड होने लगती है।
जब यह सारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तब Computer BIOS से Operating System को कण्ट्रोल ट्रान्सफर कर देता है। Windows Boot loader यानिकी BOOTMGR.EXE सभी फाइल्स को Boot Device से Memory में ले जाकर लोड कर देता है ताकि उनका उपयोग किया जा सकें और कंप्यूटर स्टार्ट हो जाता है तथा Log In के माध्यम से इसे इस्तेमाल किया जाने लगता है (यदि User के द्वारा पासवर्ड डाला गया है तो)।
निष्कर्ष
बूटिंग प्रोसेस के दौरान सभी प्रकार की जांच की जाती है ताकि यूजर सिस्टम का उपयोग कर सकें, यदि किसी भी प्रकार की प्रॉब्लम डिटेक्ट होती है तो यूजर को सुचना दी जाती है क्योकि समस्या होने पर सिस्टम को ओपरेट कर पाना सम्भव नहीं है। जैसा कि हम जानते हैं कि कंप्यूटर कई पार्ट से बना हुआ होता है इसीलिए यह प्रकिया जरुरी है और मेमोरी को लोड करने और क्रियान्वित करने के लिए की जाती है।
FAQs
कई बार आपका कंप्यूटर टर्न ऑन होने में अधिक समय ले सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे आप कंप्यूटर को ठीक से शट डाउन नहीं करते, या आपके कंप्यूटर में टेम्पररी फाइल्स बहुत ज्यादा इकठ्ठा हो गयी हैं, या फिर आपने बहुत सारे सॉफ्टवेयर को स्टार्टअप में डाल रखा है।
कंप्यूटर की बूटिंग प्रोसेस को फ़ास्ट करने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि आप अपने कंप्यूटर में एक SSD लगवाइये और पूरा ऑपरेटिंग सिस्टम उस SSD में रखिये। इससे बूटिंग प्रोसेस भी फ़ास्ट होगी और साथ ही आपका कंप्यूटर भी तेज गति से कार्य करेगा।
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